परिचय
हिंदू धर्म मेंएकादशी व्रत का विशेष महत्व है। वर्ष में 24 एकादशी आती हैं और प्रत्येकएकादशी का अपना धार्मिक, आध्यात्मिक और पौराणिक महत्व होता है। पितृपक्ष के दौरान आने वाली इंदिरा एकादशी का स्थान विशेष है। इसे पापों से मुक्ति, पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
यह एकादशी व्रत न केवल साधक को पुण्य प्रदान करती है बल्कि पितरों के लिए भी कल्याणकारी मानी जाती है। इस दिन व्रत और पूजा करने से समस्त पितरों को स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
इंदिरा एकादशी 2025 कब है?
इंदिरा एकादशी पितृपक्ष की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। 2025 में यह तिथि इस प्रकार है –
- तिथि प्रारंभ: 16 सितंबर 2025 (मंगलवार)
- तिथि समाप्त: 17 सितंबर 2025 (बुधवार)
- व्रत उपवास: 17 सितंबर 2025

इंदिरा एकादशी का महत्व
- इस एकादशी को करने से सभी पापों का नाश होता है।
- पितरों की आत्मा को शांति और मुक्ति प्राप्त होती है।
- घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
- इसे करने से संतान सुख और आयु वृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
- जो व्यक्ति मोक्ष की कामना करता है, उसके लिए यह एकादशी अत्यंत लाभकारी है।
इंदिरा एकादशी की कथा (कहानी)
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, सतयुग में महिष्मती नामक नगरी पर इंद्रसेन नामक राजा राज्य करते थे। वे अत्यंत धर्मनिष्ठ और भगवान विष्णु के भक्त थे। एक बार राजा के पितर यमलोक में दु:ख भोग रहे थे।
तब नारद मुनि ने राजा इंद्रसेन को बताया कि उनके पितर की मुक्ति तभी संभव है जब वे स्वयं इंदिरा एकादशी का व्रत करें और उसका फल अपने पितरों को अर्पित करें।
राजा ने विधिपूर्वक इस व्रत का पालन किया और व्रत के पुण्य से उनके पितरों को मोक्ष मिला। तभी से इस व्रत को पितृपक्ष में करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
इंदिरा एकादशी व्रत विधि
- प्रातःकाल स्नान कर भगवान विष्णु का स्मरण करें।
- व्रत का संकल्प लेकर ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें।
- विष्णु भगवान की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं।
- पीले वस्त्र, पुष्प, तुलसीदल, धूप, दीप, फल और नैवेद्य अर्पित करें।
- दिनभर उपवास करें, केवल फलाहार या निर्जल उपवास कर सकते हैं।
- संध्या काल में भगवान विष्णु की आरती और भजन करें।
- अगले दिन द्वादशी तिथि को ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन कराकर दान दें।
🌿 इंदिरा एकादशी में वर्जित कार्य
- मांस, मछली, अंडा और नशे का सेवन वर्जित है।
- अनाज, दाल और चावल का सेवन निषेध है।
- झूठ, क्रोध, हिंसा और विवाद से बचें।
- तामसिक भोजन जैसे प्याज-लहसुन का सेवन न करें।
इंदिरा एकादशी के लाभ
- पितृ तृप्ति: पितरों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- पाप मुक्ति: इस व्रत से जन्म-जन्मांतर के पाप मिट जाते हैं।
- धन-समृद्धि: घर-परिवार में सुख-शांति और ऐश्वर्य बढ़ता है।
- मोक्ष प्राप्ति: साधक को परम धाम की प्राप्ति होती है।
- मानसिक शांति: ध्यान और उपवास से मन स्थिर और शांत रहता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से एकादशी व्रत
- उपवास करने से शरीर की पाचन क्रिया को विश्राम मिलता है।
- विष्णु पूजा और भजन करने से मन और मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- दान-पुण्य करने से सामाजिक और मानसिक संतोष मिलता है।
- उपवास से शरीर में डिटॉक्सिफिकेशन होता है।
इंदिरा एकादशी के लिए आवश्यक सामग्री
- भगवान विष्णु की प्रतिमा/चित्र
- गंगाजल
- पीले वस्त्र और फूल
- तुलसीदल
- धूप, दीप, घी, कपूर
- फल और नैवेद्य
- पंचामृत
- दक्षिणा और दान के लिए अन्न या वस्त्र
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. इंदिरा एकादशी किसके लिए की जाती है?
👉 यह व्रत पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए किया जाता है।
2. क्या महिलाएँ भी यह व्रत रख सकती हैं?
👉 हाँ, महिलाएँ और पुरुष दोनों यह व्रत रख सकते हैं।
3. इंदिरा एकादशी पर क्या खाना चाहिए?
👉 फल, दूध, सूखे मेवे और सात्विक भोजन करना चाहिए।
4. क्या बिना व्रत रखे केवल पूजा करने से लाभ होगा?
👉 व्रत के साथ पूजा अधिक फलदायी होती है, लेकिन केवल पूजा करने से भी पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
5. क्या इस व्रत का संबंध श्राद्ध से है?
👉 हाँ, यह व्रत पितृपक्ष में आता है और पितरों के श्राद्ध एवं तर्पण से जुड़ा है।
निष्कर्ष
इंदिरा एकादशी व्रत पितृपक्ष में आने वाली सबसे महत्वपूर्ण एकादशी है। इसका पालन करने से साधक को पुण्य मिलता है, पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।
इस दिन विधिपूर्वक उपवास, पूजा और दान करने से जीवन में शुभ फल प्राप्त होते हैं। जो भी व्यक्ति इस व्रत को श्रद्धा और नियमपूर्वक करता है, उसके जीवन से दुख और पाप नष्ट होकर शांति और समृद्धि आती है।
 
					 
						 
						
 
						 
						
 
						



 
						

 
						

 
						
 
						
