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शरद पूर्णिमा स्नान-दान समय
- ब्रह्म मुहूर्त 04 बजकर 39 मिनट से 05 बजकर 28 मिनट तक
- लाभ-उन्नति मुहूर्त 10 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 09 मिनट तक
- अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त 12 बजकर 09 मिनट से 01 बजकर 37 मिनट तक।
पंचांग गणना के आधार पर, चूंकि पूर्णिमा का उदय और चंद्र दर्शन 6 अक्टूबर को होगा, इसलिए इस साल शरद पूर्णिमा का पर्व 06 अक्टूबर को मनाया जाएगा. 6 अक्टूकर की रात को ही चंद्रमा की अमृत वर्षा करने वाली रोशनी में खीर रखने की परंपरा निभाई जाएगी.
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 06 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन यानी 07 अक्टूबर को सुबह को 09 बजकर 16 मिनट पर होगा।1
शरद पूर्णिमा का महत्व
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस तिथि पर रात के समय चंद्रमा की चांदनी में खीर या दूध रखने से वह अमृत के समान हो जाता है। यह खीर प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से रोगों से मुक्ति मिलती है और निरोगी काया प्राप्त होती है।
इस तिथि पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा का विधान है, जिससे धन-धान्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
शरद पूर्णिमा पूजा विधि

- शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं।
- यह अश्विन महीने की पूर्णिमा तिथि पर मनाई जाती है।
- मान्यता है कि इस रात को चंद्रमा अपनी पूरी तेज और छः (16) कलाओं से कीर्ति लेता है।
- वहीं कई स्थानों पर इसे रास पूर्णिमा भी कहा जाता है, क्योंकि कृष्णलीला (रास-लीला) की कथाएँ इस रात से जुड़ी हैं।
धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व
- अमृत वर्षा की मान्यता
 शास्त्रों में कहा गया है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अमृत की किरणें धरती पर भेजता है। ऐसे में रात भर चाँद की रोशनी में रखा कोई पात्र (दूध, खीर आदि) अमृत तुल्य हो जाता है।
- मां लक्ष्मी का आगमन
 कोजागरी पूर्णिमा नामक यह रात वैसे समझी जाती है कि माँ लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और जाग्रत भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। इसलिए इस रात जागरण और भजन-कीर्तन की परंपरा है।
- चंद्र पूजा एवं आराधना
 चंद्र देव को अर्घ्य, पूजा और भोग अर्पण करने की मान्यता है। बहुत से लोग इस दिन चंद्र दर्शन कर मन की शांति प्राप्त करते हैं।
- व्रत और तपस्या का अवसर
 इस दिन उपवास रखने और धार्मिक साधना करने से मन, शरीर और आत्मा की शुद्धि माना जाता है।
- पूर्णिमा
व्रत कथा / पौराणिक कथा
शरद पूर्णिमा की व्रत कथा बहुत लोकप्रिय है। उदाहरण के लिए:
एक गाँव में एक साहूकार रहता था, जिसकी दो बेटियाँ थीं। दोनों पूर्णिमा व्रत करती थीं, पर बड़ी बहन ने अधिक श्रद्धा एवं नियमपूर्वक व्रत किया। वहीं छोटी बहन ने इसे हल्के में लिया। अंततः बड़ी बहन को शुभ परिणाम मिला।
इसके अलावा कई स्थानों पर यह भी कहा जाता है कि इस व्रत से जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं, संतान की प्राप्ति होती है, और समृद्धि आती है।
पूजा-विधि और शुभ मुहूर्त
पूजा विधि (Puja Vidhi)
- सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करें।
- पूजा स्थान पर लाल या सफेद कपड़ा बिछाएँ। माता लक्ष्मी या चंद्र देव की प्रतिमा / चित्र रखें।
- पूजा में निम्न सामग्रियाँ शामिल करें: पुष्प, धूप, दीप, गुलाल, अक्षत, इत्र, फलों का नैवेद्य आदि।
- माता लक्ष्मी का जाप तथा चालीसा या स्तोत्र पाठ करें।
- भोजन (भोग) में खीर तैयार करें और इसे चाँद की रोशनी में रखकर अर्पित करें।
- रात में जागरण, भजन-कीर्तन या कथा-पाठ करें।
- व्रत कथा सुनने के बाद ही व्रत खोलें।
शुभ मुहूर्त
पूजा एवं अर्घ्य देने के लिए शुभ मुहूर्त चुनना अच्छा माना जाता है।
— ग्रहण से प्रभावित होने पर पूजा और भोग ग्रहण के बाद करना चाहिए।
— यदि ग्रहण हो रहा हो, तो खीर रखने आदि क्रियाएँ ग्रहण काल से पहले या बाद में करें।
(आप अपने उस वर्ष की तिथियों का शुभ मुहूर्त अपने ब्लॉग में अपडेट कर सकते हैं।)
क्या करें & क्या न करें
क्या करें
- शुद्ध और सात्विक आहार लें — दूध, फल, हल्का भोजन।
- चंद्र दर्शन और चाँद को अर्घ्य दें।
- रात में जागरण करें और भजन-कीर्तन या कथा-संवाद करें।
- दान करें — अन्न, वस्त्र, सुख-साधन आदि।
- घर में सफेद या हल्के रंग के वस्त्र पहनें।
- पीपल वृक्ष के नीचे जल अर्पित करें या दीपक जलाएँ।
क्या न करें
- तामसिक पदार्थ (मांस, मटन, लहसुन, प्याज आदि) न खाएं।
- शराब या नशे से दूर रहें।
- धन का लेन-देन (उधार, वसूली, खरीद-बिक्री) न करें।
- नकारात्मक विचार न रखें, क्रोध न करें।
- काले रंग का उपयोग न करें।
- अशुद्ध जल न लें — जल स्वच्छता का ध्यान रखें।
शरद पूर्णिमा के उपाय एवं लाभ
नीचे कुछ प्रसिद्ध उपाय और उनके लाभ दिए हैं:
| उपाय | विधि / वर्णन | लाभ / अपेक्षित परिणाम | 
|---|---|---|
| दूध या खीर चांदनी में रखना | खीर या दूध को रातभर खुली छत में चाँदनी में रखें | स्वास्थ्य लाभ, अमृत समान प्रभाव | 
| जागरण एवं भजन-कीर्तन | पूरी रात जागकर भजन-कीर्तन करना | आध्यात्मिक शांति, भाग्य खुलना | 
| दान करना | जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, भोजन आदि दान करें | पुण्य प्राप्ति और सकारात्मक ऊर्जा | 
| पीपल जल अर्पण | सुबह स्नान के बाद पीपल वृक्ष को जल अर्पित करें | धन-समृद्धि और वास्तुशांति | 
| गाय को खीर खिलाना | खीर या दूध गाय को खिलायें | घर में सुख-शांति, बाधाओं का नाश | 
| सफेद वस्त्र धारण करना | सफेद या हल्का रंग पहनना | सकारात्मक ऊर्जा और शांति बढ़ना | 
इन उपायों को श्रद्धा और अनुशासन से करने से उनका प्रभाव बढ़ जाता है।शरद पूर्णिमा का पर्व हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है। यह दिन मां लक्ष्मी और चंद्रमा की कृपा प्राप्त करने का विशेष अवसर होता है। इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से धन, स्वास्थ्य, और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। नीचे दो प्रभावशाली उपाय दिए गए हैं:—✅ उपाय 1: धन वृद्धि हेतु – मां लक्ष्मी का विशेष पूजनक्या करें:1. शरद पूर्णिमा की रात को घर में या पूजा स्थान पर मां लक्ष्मी का चित्र या प्रतिमा स्थापित करें।2. सफेद वस्त्र पहनें और सफेद फूलों, चावल, और मिश्री से पूजन करें।3. मां लक्ष्मी को खीर (दूध और चावल से बनी) का भोग लगाएं और यह प्रार्थना करें:> “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” – इस मंत्र का 108 बार जाप करें।4. भोग की खीर को रात भर चंद्रमा की चांदनी में रखें और सुबह परिवार सहित उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।लाभ: यह उपाय धन वृद्धि, समृद्धि और कर्ज मुक्ति में सहायक होता है।—✅ उपाय 2: चंद्रमा से मानसिक शांति और स्वास्थ्य लाभ पाने हेतुक्या करें:1. शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की रोशनी में कुछ समय ध्यान लगाएं। शांत वातावरण में बैठकर गहरी सांस लें और छोड़ें।2. चांदनी में बैठकर “ॐ चंद्राय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें
