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हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान है। हर मास में दो एकादशी तिथियाँ होती हैं — एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को “कामिका एकादशी” कहा जाता है। यह व्रत आध्यात्मिक उन्नति, पापों के नाश और मोक्ष प्राप्ति के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
श्रावण माह भगवान शिव का प्रिय मास है, जबकि एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। अतः जब श्रावण मास की एकादशी आती है, तब इसका फल अनंतगुणा बढ़ जाता है।

श्रावण कृष्ण पक्ष की एकादशी (कामिका एकादशी) 2025 में कब है?
तिथि:
👉 कामिका एकादशी व्रत –
👉 एकादशी तिथि आरंभ –20 जुलाई को दोपहर 12.15
👉 तिथि समाप्त – 21 जुलाई प्रातः 9 बजकर.38 मिनट उदया तिथि के अनुसार एकादशी व्रत 21 जुलाई को रखा जाएगा
पारण (व्रत खोलने का समय):
👉 22 जुलाई 2025 प्रातः 5.36 से 8.20 तक
कामिका एकादशी का धार्मिक महत्व:
कामिका एकादशी व्रत का उल्लेख पद्म पुराण और विष्णु पुराण जैसे ग्रंथों में मिलता है। इस दिन व्रत रखने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो क्रोध, ईर्ष्या, द्वेष या किसी भी नकारात्मक भावना से ग्रसित हैं।
इस व्रत को करने से:
मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
पूर्व जन्मों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है।
ब्रह्महत्या जैसे घोर पाप भी क्षमा हो जाते हैं।
व्रत विधि (कैसे करें कामिका एकादशी व्रत):
- व्रत की पूर्व संध्या (दशमी तिथि):
सात्विक भोजन करें।
रात्रि को एक समय भोजन करें या उपवास की तैयारी करें।
मानसिक रूप से व्रत का संकल्प लें।
- एकादशी के दिन:
प्रातः काल स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
घर में गंगाजल छिड़ककर पवित्रता करें।
भगवान विष्णु की प्रतिमा को पीले वस्त्र पहनाएं।
तुलसी दल, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करें।
दिनभर फलाहार पर रहें, जल कम मात्रा में लें या निर्जल व्रत करें।
रात्रि जागरण करें और भगवान का भजन-कीर्तन करें।
- द्वादशी के दिन (पारण):
सूर्योदय के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
दान-दक्षिणा दें।
व्रत खोलें और स्वयं सात्विक भोजन करें।
कामिका एकादशी व्रत कथा (पौराणिक कथा):
प्राचीन काल की बात है, एक गांव में एक क्रूर स्वभाव का क्षत्रिय रहता था। उसे क्रोध बहुत आता था। एक दिन उसके पड़ोसी से झगड़ा हो गया और गुस्से में आकर उसने उसे मार डाला। इस हत्या के बाद उसके मन में बहुत पछतावा हुआ, लेकिन उसे कोई मार्ग नहीं सूझ रहा था।
वह एक बार एक ऋषि के पास गया और उनसे अपने पाप के प्रायश्चित का उपाय पूछा। ऋषि ने कहा, “तुमने ब्रह्महत्या के समान पाप किया है, परंतु यदि तुम श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी (कामिका एकादशी) का व्रत पूरे नियम से करो, तो तुम्हारा यह पाप भी क्षम्य हो सकता है।”
उसने पूरी श्रद्धा और विधिपूर्वक कामिका एकादशी का व्रत रखा। उसने दिनभर भगवान विष्णु का स्मरण किया, रात्रि में जागरण किया और द्वादशी को ब्राह्मणों को भोजन करवाकर व्रत पूर्ण किया।
इस व्रत के प्रभाव से उसके सारे पाप समाप्त हो गए और उसे परम शांत जीवन प्राप्त हुआ। वह परमगति को प्राप्त हुआ और अंत में विष्णुधाम को चला गया।
कामिका एकादशी के अन्य विशेष लाभ:
- क्रोध और वैरभाव से मुक्ति:
जो लोग मन में दूसरों के प्रति द्वेष या द्वंद्व रखते हैं, इस व्रत से उन्हें मानसिक शांति मिलती है। - वास्तु दोष निवारण:
मान्यता है कि यदि घर में इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ और तुलसी पूजन किया जाए, तो घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है। - पितृ दोष शांति:
इस दिन पूर्वजों को तर्पण व दान देने से पितृ तृप्त होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
तुलसी पूजन का विशेष महत्त्व:
कामिका एकादशी पर तुलसी दल अर्पण करना अत्यंत पुण्यकारी होता है। भगवान विष्णु को तुलसी अर्पित किए बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। ऐसा कहा गया है कि तुलसी स्वयं लक्ष्मीजी का स्वरूप हैं।